Do Mutthee Jada | दो मुट्ठी जाड़ा अकबर बीरबल कहानी

 मुट्ठी जाड़ा

Do Mutthee Jada | दो मुट्ठी जाड़ा अकबर बीरबल कहानी

कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। लोग ठंड से ठिठुर रहे थे।

आग और ऊनी कपड़े ही सुहाते थे।

बादशाह ने बीरबल से पूछा, ‘तुम बता सकते हो, जाड़ा कितना है ?’

बीरबल चकरा गया।

उन दिनों मीटर आदि तो थे नहीं। आजकल तो मौसम को नापने के यंत्र हैं।

बादशाह ने पूछा, ‘जाड़ा कितना है ?’ बीरबल सोच रहे थे कि क्या उत्तर दें।

तभी उनकी नजर बाहर ठंड से सिकुड़े उस व्यक्ति पर पड़ी, जिसकी मुट्ठियाँ ठंड के कारण भिंची हुई थीं।

बीरबल के दिमाग में तुरंत उत्तर आ गया। वह बोला, ‘हुजूर, जाड़ा दो मुट्ठी है।’

बादशाह ने पूछा, ‘कैसे ?’

‘वो देखिए।’

बीरबल ने बादशाह को भी वह आदमी दिखा दिया, जो मुट्ठी बाँधे खड़ा था।

बादशाह मुस्करा दिए। बीरबल की चतुराई पर सब प्रसन्न थे।

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