Moral Stories in Hindi – बन्दर और तेंदुए की कहानी

बन्दर और तेंदुए की कहानी

एक बार की बात है एक जंगल था। जिसमें बहुत से जानवर रहा करते थे। उस जंगल में एक नदी बहा करती थी। वही कुछ बंदर भी उस नदी के पास पेड़ों पर रहा करते थे। जिसमें से सभी जानवर पानी पी कर अपना गुजारा करते थे। एक दिन उसी जंगल में एक काला तेंदुआ आया। जिससे सभी जानवर डरा करते थे। उस तेंदुए ने जंगल के सभी जानवरों को कह दिया कि कोई भी उसकी इजाजत के बिना नदी से पानी नहीं पी सकता।

जिसके बाद सभी जानवर और बंदर जंगल के दूसरे तालाब व अन्य पानी के स्त्रोत में जाकर पानी पीने लगे। इसी तरह कुछ समय बीत गया। कुछ दिनों के बाद जंगल में भयंकर अकाल पड़ गया। जिसके कारण तालाब में अन्य पानी के स्त्रोत सूख गए। अब केवल वह नदी का पानी ही पीने के लिए बचा था। लेकिन तेंदुए के डर के कारण बहुत से जानवर जंगल छोड़कर दूसरी जगह पर जाने लगे। बंदरों ने जाकर तेंदुए से पानी पीने की विनती की लेकिन तेंदुए ने बंदरों को पानी पीने से मना कर दिया।

इसके बाद बंदर भी जंगल छोड़कर जाने की सोचने लगे। तभी उनमें से एक चिंटू बंदर ने सभी बंदरों को इकट्ठा किया और उनका हौसला बढ़ाया। उसने कहा कि इस तरह हम तेंदुए की जिद के आगे नहीं झुक सकते। हमें इसके लिए कुछ ना कुछ जुगाड़ करना होगा। तभी उसने एक तरकीब निकाली उसने सभी बंदरों से बांस के पेड़ की पतली नली को इकट्ठा करना कह दिया। जब सभी बंदर बांस की नली इकट्ठा करके ले आए तब उसने उन सभी नलियों को आपस में जोड़कर 3-4 पाइप बना ली।

इसकी सहायता से बंदर बिना जमीन पर उतरे पेड़ पर बैठे बैठे पाइप की सहायता से नदी का पानी पी सकते थे। जब जमीन पर बैठे तेंदुए ने बंदरों को पाइप की सहायता से नदी का पानी पीते हुए देखा तो वह बहुत गुस्सा हुआ। उसने बंदरों की पाइप को पकड़ना शुरू कर दिया। जैसे ही वह एक पाइप को पकड़ता है दूसरी बंदरों का झुंड दूसरी पेड़ से दूसरी पाइप की सहायता से नदी का पानी पीना शुरू कर देता। कुछ समय तो उसने बंदरों को बांस की पाइप से पानी पीने के लिए रोका। लेकिन बंदर कहां मानने वाले थे। आखिरकार तेंदुए को बंदरों के सामने हार माननी पड़ी। जिसके बाद वह तेंदुआ ही जंगल छोड़कर चला गया और बंदर खुशी खुशी नदी के पास के पेड़ों पर रहने लगे।

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