जैसी करनी वैसी भरनी- Short Moral Story In Hindi

जैसी करनी वैसी भरनी

एक हवेली के तीन हिस्सों में तीन परिवार रहते थे। एक तरफ कुन्दनलाल, बीच में रहमानी, दूसरी तरफ जसवन्त सिंह।

उस दिन रात में कोई बारह बजे रहमानी के मुन्ने पप्पू के पेट में जाने क्या हुआ कि वह दोहरा हो गया और जोर-जोर से रोने लगा।

माँ ने बहलाया, बाप ने कन्धों लिया, आपा ने सहलाया, पर वह चुप न हुआ।

उसके रोने से कुन्दनलाल की नींद खुल गई। करवट बदलते हुए उसने सोचा- “कमबख़्त ने नींद ही खराब कर दी।

अरे, तकलीफ है, तो उसे सहो, दूसरों को तो तकलीफ में मत डालो।” और कुन्दनलाल फिर खर्राटे भरने लगा।

नींद जसवन्त सिंह की भी उचट गई। उसने करवट बदलते हुए सोचा- ‘बच्चा कष्ट में है। हे भगवान, तू उसकी आंखों में मीठी नींद दे कि मैं भी सो सकूं।’

हवेली के सामने बुढ़िया राम दुलारी अपनी कोठरी में रहती थी।

उसकी भी नींद उखड़ गई।

उसने लाठी उठाई और खिड़की के नीचे आवाज देकर कहा,”ओ बहू! ले, यह हींग ले और इसे जरा से पानी में घोलकर मुन्ने की टूंडी पर लेप कर दे। बच्चा है।

कच्चा-पक्का हो ही जाता है, फिकर की कोई बात नहीं, अभी सो जायेगा।”

बुढ़िया सन्तुष्ट थी, कुन्दन लाल बुरे सपने देख रहा था।

जसवन्त सिंह थका-थका-सा था ओर रहमानी मुन्ने की टूंडी पर हींग का लेप कर रहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *