कुत्ता और जमाई-अकबर बीरबल कहानी – Akbar Birbal Kahani

कुत्ता और जमाई

 कुत्ता और जमाई अकबर बीरबल कहानी

बादशाह ने एक दिन पूछा, ‘सबसे कृतज्ञ कौन और सबसे कृतघ्न कौन है ?’

बीरबल ने कहा, ‘इसका उत्तर मैं दरबार में दूंगा।’

कई दिनों के बाद बीरबल दरबार में दो प्राणियों को लाया। उनमें एक कुत्ता था और दूसरा जमाई ।

बादशाह ने पूछा, ‘ये कौन हैं ? और यह कुत्ता क्यों लाए हो ?’

बीरबल ने उत्तर दिया, जहाँपनाह! ‘एक कृतज्ञ है और दूसरा कृतघ्न है।’

‘मतलब समझाओ।’

‘ये कुत्ता वफादार है। स्वामिभक्त और कृतज्ञ है। इसे गलती पर मारा-पीटा जा सकता है।

तब भी कुछ देर बार दुम हिलाएगा। आपके हाथ चाटेगा।

यह बड़ा कृतज्ञ होता है। दूसरा यह जमाई है। इसे बेटी दे दो, सब कुछ दे दो।

परंतु इसे सब्र या संतोष नहीं होता। तब भी अकड़ा रहेगा। यह कृतघ्न होता है।’

बादशाह को क्रोध आ गया। उसने आदेश दिया, ‘जमाई को फाँसी दे दी जाए।’

बीरबल बोले, ‘जहाँपनाह! यह गलत है। इसे फाँसी देना उचित न होगा।’

क्यों ?’

‘क्योंकि मैंने अपने ही जमाई के लिए नहीं कहा।

यह बात हर जवाई पर लागू होती है। किस-किस को फाँसी देंगे ? आप सभी किसी-न-किसी के जमाई हैं। मैं भी हूँ और आप भी।’

बादशाह चौंक पड़े।

वह सोच भी नहीं पाए थे कि जमाई तो वह भी हैं। जमाई तो बीरबल भी है।

बादशाह अकबर और सभी दरबारी जोर-जोर से हँसने लगे। बादशाह ने बीरबल के जमाई को माफ कर दिया। और हमेशा की तरह बीरबल की बुद्धिमानी से प्रभावित हो गए।

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