अवसर की पहचान : शिक्षाप्रद कहानी | Moral Story In Hindi About Opportunity

अवसर की पहचान : शिक्षाप्रद कहानी | Moral Story In Hindi About Opportunity

पहाड़ी क्षेत्र में नदी किनारे एक छोटा सा गाँव बसा हुआ था. उस गाँव के लोग बहुत धार्मिक प्रवृति के थे. गाँव के मध्य स्थित मंदिर में सभी गाँव वाले दैनिक पूजा-अर्चना करते थे. उस मंदिर की देखभाल की ज़िम्मेदारी वहाँ के पुजारी पर थी. जो मंदिर परिसर में ही निवास करता था. वह सुबह से लेकर रात तक ईश्वर की अर्चना में लीन रहता था.

एक दिन गाँव पर प्रकृति का कहर मूसलाधार बारिश के रूप में टूटा, जिससे गाँव की नदी में बाढ़ आ गई. बाढ़ का पानी जब गाँव में प्रवेश कर गया, तो गाँव के लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी करने लगे.

एक व्यक्ति को गाँव छोड़कर जाने के पहले मंदिर के पुजारी का ध्यान आया और वह भागता हुआ मंदिर पहुँचा. वहाँ पहुँचकर वह पुजारी से बोला,”पंडितजी! बाढ़ का पानी हमारे घरों में घुसने लगा है. धीरे-धीरे बढ़ते हुए वो मंदिर तक भी पहुँच जायेगा. यदि हमने गाँव नहीं छोड़ा, तो बाढ़ में बह जायेंगे. हम सभी सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं. आप भी हमारे साथ चलिये.”

लेकिन पंडित उस व्यक्ति के साथ जाने को राज़ी नहीं हुआ. वह बोला, “मैं तुम लोगों जैसा नास्तिक नहीं हूँ. मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है. पूरे जीवन मैंने उसकी आराधना की है. वह मुझे कुछ नहीं होने देगा. तुम लोगों को जाना है, तो जाओ. मैं यहीं रहूंगा.”

पंडित की बात सुनकर वह व्यक्ति वापस चला गया. पंडित भगवान की प्रार्थना में लीन हो गया.

कुछ ही देर में बाढ़ का पानी मंदिर तक पहुँच गया. बढ़ते-बढ़ते वह पंडित के कमर तक पहुँच गया. ठीक उसी समय एक आदमी नाव लेकर वहाँ आया और पंडित से बोला, “पंडित जी, मुझे गाँव के एक आदमी ने बताया कि आप अब भी यहीं हैं. मैं आपको लेने आया हूँ. चलिये, नाव पर बैठिये.”

पंडित ने वही बात नाव वाले व्यक्ति से भी कही, जो उसने पहले व्यक्ति से कहीं थी और जाने से इंकार कर दिया. नाव लेकर आया व्यक्ति चला गया.

कुछ देर में पानी मंदिर के छत तक पहुँच गया. भगवान को मदद के लिये याद करता हुआ पंडित मंदिर के सबसे ऊँचे शिखर पर जाकर खड़ा हो गया. तभी वहाँ एक सुरक्षा दल हेलीकॉप्टर से आया और पंडित को बचाने के लिए रस्सी फेंकी. लेकिन पंडित ने वही बात दोहराते हुए रस्सी पकड़ने से इंकार कर दिया. सुरक्षा दल का हेलीकॉप्टर दूसरों को बचाने आगे चला गया.

अब बाढ़ का पानी मंदिर के शिखर तक आ गया था. वहाँ खड़ा पंडित डूबने लगा. डूबने के पहले वह भगवान से शिकायत करते हुए बोला, “भगवान! मैंने पूरा जीवन तुझे समर्पित कर दिया. मैंने तुझ पर इतना विश्वास रखा. फिर भी तुम मुझे बचाने नहीं आये.”

पंडित की शिकायत सुन भगवान प्रकट हुए और बोले, “अरे मूर्ख! मैं तीन बार तुझे बचाने आया था. पहली बार मैं भागते हुए तुम्हारे पास आया और गाँव वालों के साथ गाँव छोड़कर चलने कहता रहा. फिर मैं नाव लेकर आया और अंत में हेलीकॉप्टर. अब इसमें मेरी क्या गलती कि तूने मुझे पहचाना नहीं?”

पंडित को अपनी गलती समझ में आ गई. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

सीख (Moral of the story)

जीवन में अवसर बिना बताये दस्तक देते है. हम उन्हें पहचान नहीं पाते और जीवन भर शिकायत करते रहते हैं कि अच्छा और सफ़ल जीवन जीने का हमें अवसर ही प्राप्त नहीं हुआ. इसलिए अवसर किसी भी रूप में सामने आये, उसे अपने हाथ से ना जाने दें.

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