भ्रष्ट कर्मचारी- Akbar Birbal Kahani

भ्रष्ट कर्मचारी अकबर बादशाह का दरबार लगा हुआ था। दरबारी अपने-अपने स्थानों पर बैठे हुए थे। बीरबल का आसन अलग से दिखाई दें रहा था। तभी दो सिपाही एक आदमी को लेकर हाजिर हुए। उनमें से एक ने बताया, जहाँपनाह! इस आदमी

राज्य में कौवे- Akbar Birbal Kahani

राज्य में कौवे एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल महल के बगीचे में टहल रहे थे। गर्मी का मौसम था और तालाब के किनारे बहुत सारे कौवे थे। कौवे को देखते हुए अकबर के मन में एक प्रश्न उठा। वह प्रश्न था

छोटी लकीर बड़ी लकीर- Akbar Birbal Kahani

छोटी लकीर बड़ी लकीर बादशाह अकबर का दरबार अजीबोगरीब प्रश्न-उत्तर के संवादों के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन बादशाह अकबर ने कागज पर पेन्सिल से लेकर लम्बी लकीर खींची और बीरबल को अपने पास बुलाकर कहा, बीरबल यह लकीर न तो हटाई

अकबर का स्वप्न- Akbar Birbal Kahani

अकबर का स्वप्न एक रात बादशाह अकबर को सपना आया कि उनके एक दांत को छोड़कर सभी दांत टूट गये। अगली सुबह उन्होंने राज्य के सभी ज्योतिषियों को सपने का अर्थ जानने के लिए सभा में बुलाया। एक लंबे विचार विमर्श के

धोबी का गधा- Akbar Birbal Kahani

धोबी का गधा एक दिन अकबर, बीरबल और अपने दो पुत्रों के साथ स्नान करने नदी पर गये। उन्होंने बीरबल को अपने कपड़े पकड़ने को कहा। उन्होंने अपने कपड़े उतार कर बीरबल को दे दिए और नदी में उतर गये। बीरबल नदी

सही गलत का अंतर- Akbar Birbal Kahani

सही गलत का अंतर एक दिन बादशाह अकबर ने सोचा, हम रोज-रोज न्याय करते हैं। इसके लिए हमें सही गलत का पता लगाना पड़ता है। लेकिन सही और गलत के बीच आखीर अंतर कितना होता है ? दूसरे दिन बादशाह अकबर ने

मूर्खों की सूची- Akbar Birbal Kahani

मूर्खों की सूची एक दिन अकबर के दरबार में एक अरब व्यापारी अपने घोड़े के साथ पहुंचा। उसके पास हर उम्र और हर किस्म के घोड़े थे। अकबर ने उनमें से कुछ घोड़े चुने और उनका दाम देकर व्यापारी को अरब से

गहनों की चोरी- Akbar Birbal Kahani

गहनों की चोरी बादशाह अकबर के राज्य में एक व्यापारी आया। उसे गर्मी लगी तो उसने नदी पर स्थान करने की सोची। उसने अपने सारे गहने अपने कपड़ों के साथ कमरे के एक कोने में रख दिए और नहाने चला गया। जब

जो होता है अच्छा होता है- Akbar Birbal Kahani

जो होता है अच्छा होता है बीरबल हमेशा एक बात कहते थे कि जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। बादशाह अकबर उसकी इस बात को हमेशा गलत ठहराते थे। एक दिन तलवार को संभालते समय बादशाह की छोटी ऊँगली

महेश दास का भाग्य- Akbar Birbal Kahani

महेश दास का भाग्य जब महेश दास बड़े हुए तो उन्होंने बचाकर रखी थी, उसके साथ राजकीय अंगूठी ली तथा अपनी माँ से विदा लेकर बादशाह की राजधानी फतेहपुर सीकरी की तरफ चल दिए। राजधानी में पहुंचकर महेश दास आश्चर्यचकित रह गये।