बुलाकर लाओ- Akbar Birbal Kahani

बुलाकर लाओ एक रोज सुबह-सुबह बादशाह ने अपने सेवक को हुक्म दिया, बुलाकर लाओ। आगे कुछ नहीं बताया। सेवक ने भी नहीं पूछा। उसका साहस भी नहीं हुआ। उसकी समझ में कुछ नहीं आया था कि वह किसे बुलाकर लाए। उसने अपने

अंतर- Akbar Birbal Kahani

अंतर बीरबल की सूझ-बूझ, बुद्धि और हाजिरजवाबी से जहाँ बादशाह अकबर प्रसन्न रहते थे, वहां दरबार के अन्य लोगों में की ऐसे थे जो बीरबल को उच्च पद से हटाना तथा बादशाह की दृष्टि में गिरना चाहते थे। वे लोग ऐसे अवसर

सबसे प्यारी चीज- Akbar Birbal Kahani

सबसे प्यारी चीज बादशाह ने एक दिन सभासदों और विद्वानों से प्रश्न किया सबसे प्यारी चीज क्या है ? बादशाह अकबर ऐसे प्रश्न प्रायः करते रहते थे। उनके दरबार में बहुत से ऐसे विद्वान थे जो इस प्रकार के दर्शनिक, समाजिक और

घोड़े के चने- Akbar Birbal Kahani

घोड़े के चने एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल ऐसे स्थान पर घिर गए जहाँ खाने के लिए कुछ नहीं मिला। जंगल का मामला था। भूख से परेशान हो जाने पर बादशाह ने कहा, बीरबल! अब भूखा नहीं रहा जाता। और बादशाह

गाय की पहचान- Akbar Birbal Kahani

गाय की पहचान एक ग्वाल जंगल में गाय चराकर अपने घर लौट रहा था। रास्ते में एक ठग ने ग्वाले को गाय लेते हुए देखा। उसने ग्वाल को डरा-धमका कर उससे उसकी गाय छीन ली। ग्वाल अपनी फरियाद लेकर बीरबल के पास

चार गुणों से युक्त ब्राह्मण- Akbar Birbal Kahani

चार गुणों से युक्त ब्राह्मण एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, एक ऐसे मनुष्य को लाओ जो पीर, बाबर्ची, भिश्ती और खर हो। बादशाह का हुक्म पाकर बीरबल ऐसे चारों गुणों से युक्त व्यक्ति की खोज करने निकल पड़े। रास्ते

घड़ा-भड़ अक्ल- Akbar Birbal Kahani

घड़ा-भड़ अक्ल एक बार अकबर के दरबार में लंका नरेश का दूत आया। उसने बादशाह से अनोखी प्रार्थना की, जहाँपनाह, आपके दरबार में एक-से-एक ज्यादा अक्लमंद मौजूद हैं। हमारे नरेश ने आपके दरबार से घड़ा भरकर अक्ल लाने के लिए भेजा है।

बीरबल ने कहानी सुनाई- Akbar Birbal Kahani

बीरबल ने कहानी सुनाई बादशाह अकबर को कहानी सुनना बहुत पसंद था। रोज रात को कहानी सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी। कहानी सुनाने के लिए किसी-न-किसी दरबारी को महल में बुलाया जाता था। प्रत्येक व्यक्ति को बिल्कुल नई कहानी सुनानी

मालिक और गुलाम- Akbar Birbal Kahani

मालिक और गुलाम एक दिन दिल्ली का कोतवाल दो आदमियों को लेकर बादशाह अकबर के दरबार में आया। बादशाह के पूछने पर उसने बताया, जहाँपनाह, ये दोनों आदमी आपस में लड़ रहे थे। काजी जी इन दोनों के झगड़ें को फैसला नहीं

दुष्ट काजी- Akbar Birbal Kahani

दुष्ट काजी अकबर के जमाने में लोग काजियों की बड़ी इज्जत करते थे। झगड़ों का निपटारा करने के लिए उन्होंने बादशाह की ओर नियुक्त किया जाता था। लेकिन दिल्ली का काजी बड़ा बेईमान था। एक दिन एक औरत काजी के पास आई।