घोड़े के चने- Akbar Birbal Kahani

घोड़े के चने एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल ऐसे स्थान पर घिर गए जहाँ खाने के लिए कुछ नहीं मिला। जंगल का मामला था। भूख से परेशान हो जाने पर बादशाह ने कहा, बीरबल! अब भूखा नहीं रहा जाता। और बादशाह

गाय की पहचान- Akbar Birbal Kahani

गाय की पहचान एक ग्वाल जंगल में गाय चराकर अपने घर लौट रहा था। रास्ते में एक ठग ने ग्वाले को गाय लेते हुए देखा। उसने ग्वाल को डरा-धमका कर उससे उसकी गाय छीन ली। ग्वाल अपनी फरियाद लेकर बीरबल के पास

चार गुणों से युक्त ब्राह्मण- Akbar Birbal Kahani

चार गुणों से युक्त ब्राह्मण एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, एक ऐसे मनुष्य को लाओ जो पीर, बाबर्ची, भिश्ती और खर हो। बादशाह का हुक्म पाकर बीरबल ऐसे चारों गुणों से युक्त व्यक्ति की खोज करने निकल पड़े। रास्ते

घड़ा-भड़ अक्ल- Akbar Birbal Kahani

घड़ा-भड़ अक्ल एक बार अकबर के दरबार में लंका नरेश का दूत आया। उसने बादशाह से अनोखी प्रार्थना की, जहाँपनाह, आपके दरबार में एक-से-एक ज्यादा अक्लमंद मौजूद हैं। हमारे नरेश ने आपके दरबार से घड़ा भरकर अक्ल लाने के लिए भेजा है।

बीरबल ने कहानी सुनाई- Akbar Birbal Kahani

बीरबल ने कहानी सुनाई बादशाह अकबर को कहानी सुनना बहुत पसंद था। रोज रात को कहानी सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी। कहानी सुनाने के लिए किसी-न-किसी दरबारी को महल में बुलाया जाता था। प्रत्येक व्यक्ति को बिल्कुल नई कहानी सुनानी

मालिक और गुलाम- Akbar Birbal Kahani

मालिक और गुलाम एक दिन दिल्ली का कोतवाल दो आदमियों को लेकर बादशाह अकबर के दरबार में आया। बादशाह के पूछने पर उसने बताया, जहाँपनाह, ये दोनों आदमी आपस में लड़ रहे थे। काजी जी इन दोनों के झगड़ें को फैसला नहीं

दुष्ट काजी- Akbar Birbal Kahani

दुष्ट काजी अकबर के जमाने में लोग काजियों की बड़ी इज्जत करते थे। झगड़ों का निपटारा करने के लिए उन्होंने बादशाह की ओर नियुक्त किया जाता था। लेकिन दिल्ली का काजी बड़ा बेईमान था। एक दिन एक औरत काजी के पास आई।

भ्रष्ट कर्मचारी- Akbar Birbal Kahani

भ्रष्ट कर्मचारी अकबर बादशाह का दरबार लगा हुआ था। दरबारी अपने-अपने स्थानों पर बैठे हुए थे। बीरबल का आसन अलग से दिखाई दें रहा था। तभी दो सिपाही एक आदमी को लेकर हाजिर हुए। उनमें से एक ने बताया, जहाँपनाह! इस आदमी

राज्य में कौवे- Akbar Birbal Kahani

राज्य में कौवे एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल महल के बगीचे में टहल रहे थे। गर्मी का मौसम था और तालाब के किनारे बहुत सारे कौवे थे। कौवे को देखते हुए अकबर के मन में एक प्रश्न उठा। वह प्रश्न था

छोटी लकीर बड़ी लकीर- Akbar Birbal Kahani

छोटी लकीर बड़ी लकीर बादशाह अकबर का दरबार अजीबोगरीब प्रश्न-उत्तर के संवादों के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन बादशाह अकबर ने कागज पर पेन्सिल से लेकर लम्बी लकीर खींची और बीरबल को अपने पास बुलाकर कहा, बीरबल यह लकीर न तो हटाई