साँप और चूहा (Saanp Aur Chooha) – Hindi Moral Stories
काफी पुरानी बात है । एक सपेरे ने एक सांप को पकड़ा और बैंत की टोकरी में कैद कर दिया, और तभी एक चूहे को भी पकड़ाये । चूहा मेरे सांप के लिए बढ़िया भोजन है, और सांप की ही टोकरी में डाल दिया । टोकरी के अंदर सांप जैसे ही चूहे को लपकने लगा, चूहा बोल उठा, अरे सांप भाई मुझे मत मारो।अगर तुम मुझे नहीं मारोगे तो में तुम्हे इस कैद से आज़ाद करा सकता हूँ।
सांप हैरान था की ये नन्हा सा चूहा उसे कैसे आज़ाद करा सकता है। जब में इस कैद से निकलने में कामयाब नहीं हो सकातो तुम मेरी क्या मदद कर सकते हो। देखो मुझे बहुत जोर से भूख लगी है, फिर तो क्या फायदा मुझे खा कर यूँ भी तुम्हारा पेट भरने वाला नहीं।
अगर तुम मुझे बख्श दो तो में तुम्हें आज़ादी दिला सकता हूँ। फिर जितना दिल चाहे जहाँ दिल चाहे तुम भर पेट खाना खा सकते हो।
मोटे मोटे चूहे बढ़िया मेंढक छिपकलियांसब तुम्हे खाने को मिल सकती है। आगे तुम्हारी मर्जीबात। तो इसकी ठीक हैइसे भी तो बाद मे में खा ही सकता हूँठीक है। तो बताओ तुम मेरी कैसे मदद करोगे?
अगर तुमारी बात ठीक निकली तो में तुम्हे नहीं खाऊंगा। शायद में तुम्हारे पर बैठ कर एक मंत्र का उचारण करूँगा। बस तुम्हें अपनी आँखें बंद करनी होंगी, बस इतना ही। हाँ जब मंत्र पूरे हो जायेंगे में तुम्हे बुलाऊंगा, परंतु याद रहे तब तक ना तुम आँखें खोलोगे, न ही हिलोगे। जुलोगे समझे ।
ठीक है जैसे तुमने कहा में वैसा ही करने को तैयार हूँ, परंतु बाहर निकल कर मेरी प्रतीक्षा करना। सांप ने अपनी आँखें बंद कर ली, चूहा सांप के सिर पर चढ़ गया। जल्दी जल्दी वह पिटारी को अंदर से कुतरने लगा। वहां पर एक बड़ा सा छेद हो गया। चूहे ने झट से वहां से छलांग लगाई ,और रफुचक्कर हो गया।
और थोड़ी देर बाद सांप ने अपनी आँखें खोली। और वह भी छिद्र में से नीचे सरक लिया। आज़ादी का भी अपना मज़ा है। तोपर अभी तो भूख बहुत सता रही है। अरे वो मूर्ख कहां गया? शैतान शायद भाग गया है! जाएगा कहां, अभी ढूंढता हूँ उस नटखट शैतान को, और वे चूहे को इधर उधर तलाशने लगा।
परंतु चूहा तो कहीं खो गया था। कुछ दिनों के बाद सांप को चूहों का एक बिल नज़र आया। वे समझ गया की जरूर चूहा इसी बिल में होगाऔर जल्दी ही चूहे की मुंडी उसे वहां नज़र आयीये धोखेबाज़ यहाँ हैअब ये मुझसे बच कर कहाँ जायेगा?
अरे ओ चूहे, तुम मुझे धोखा दे कर कहाँ भाग गए थे? अब बाहर आओ न। क्यों सता रहे हो? हम तो पुराने मित्र हैं। मित्र और तुम! क्या कहते हो? कहीं ये मुमकिन है? ये तो हम दोनों जानते हैंकी हममे मित्रता हो ही नहीं सकती! उस दिन तो तुम भी मज़बूर थे और में भी।
इसी लिए दोस्ती का सारा नाटक हु। आमें तो अपनी जान बचाने के लिए मित्रता का ढोंग कर रहा था। दोस्ती हमेशा बराबर वालों में हो सकती है। कहाँ तुम इतने बलशाली और कहाँ में इतना कमजोर! हम कभी मित्र नहीं हो सकते। जाओ बाबा माफ़ करो!
ऐं ये तो बहुत समझदार है, इसे झांसा देना अब मेरे बस की बात नहीं। अयं मुझे कहीं और अपना भोजन तलाश करना चाहिए।
शिक्षा : मित्रता हमेशा बराबर वालों के साथ करनी चाहिए