धन का लालच
एक बहुत गरीब आदमी अपने घर का गुजारा चलाने के लिए रोजाना जंगल से फल फुल इकट्ठे करता और गाँव में जाकर उनको बेच देता। जिस जंगल से वह आदमी फल लेता था उसी जंगल में एक भालू रहा करता था। वह भालू बहुत खतरनाक था।
गरीब आदमी हमेशा कुछ न कुछ उस भालू को खाने के लिए देता था। इसीलिए वह भालू उसको कुछ नुकसान नहीं पहुँचाता था।
जैसे जैसे गर्मी का मौसम बढ़ने लगा फलों में कमी होने लगी। एक दिन डरते हुए उस गरीब आदमी ने भालू से कह दिया अब मैं तुमको खाने के लिए कुछ नहीं दे पाउँगा। मैं अपने परिवार का गुजारा भी ठीक तरीके से नहीं कर पा रहा हूँ।
भालू ने कहा कल सुबह तुम जल्दी आना। तुमने आज तक मुझे जो भी खिलाया हैं, मैं तुमको उसके बदले में कुछ उपहार दूंगा।
भालू के कहे अनुसार वह आदमी सुबह जल्दी गया। भालू ने उस गरीब से कहा कि तुम्हारे पास सूर्योदय होने से पहले तक का समय हैं। तुम जितना चाहो मेरे अन्दर से सोना निकाल सकते हो। सूर्योदय होने के बाद मेरा मुंह बंद हो जायेगा।
गरीब ने उसके कहे अनुसार उसके पेट से कुछ सोना निकाल लिया और उसको धन्यवाद देकर वहाँ से चला गया।
अब वह गरीब आदमी बहुत अमीर बन चूका था। उसकी अमीरी को देख कर कुछ लोग उससे जलने लगे। एक दिन एक आदमी ने उससे पूछ ही लिया कि तुम्हारी अमीरी का राज क्या हैं?
उस आदमी ने सब कुछ बता दिया।
अब उस आदमी ने फटे पुराने कपड़े पहन लिए और जंगल से फल लेने के लिए जाने लग। कुछ दिनों तक उसने भी ठीक उसी गरीब आदमी कि तरह किया और एक दिन उस भालू को बोल दिया कि अब मैं तुम्हारी और सेवा नहीं कर सकता।
भालू ने अगले दिन सवेरे जल्दी आने को कहा।
वह आदमी जल्दी सवेरे एक बड़ा बोरा लेकर गया। भालू ने अपना मुंह खोला। लेकिन वह आदमी बोरा भरने के चक्कर में सूर्योदय वाली बात को भूल चूका था।
सूर्योदय होने पर भालू का मुंह बंद हो गया और वह आदमी हमेशा के लिए अन्दर चला गया।
कहानी की सीख – लालच कभी भला नहीं कर सकता हैं।