जीतने का नजरिया
यह कहानी बिहार के पंखपुर गाँव की हैं। बात उस वक्त की हैं, जब बिजली का आविष्कार नहीं हुआ था। सभी लोग घरो में प्रकाश के लिए केरोसीन की चिमनी का इस्तेमाल किया करते थे।
अंधरे में उस गाँव में रात को क्या होता किसी को ये मालूम नहीं होता था।
ऐसा कहा जाता हैं कि पंखपुर में रात को एक बड़ा राक्षस आता था, जो हमेशा किसी न किसी जानवर को नुकसान पहुँचाता था।
पूरे गाँव के सामने यह समस्या थी कि इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए. इसी बात को लेकर गाँव में कोई न कोई सभा चलती रहती।
कुछ दिनों के बाद पंखपुर में कोई पढ़ा लिखा लड़का रहने के लिए आया। जब उसको पता चला कि इस गाँव में राक्षस आता हैं तो उसने गाँव वालो को इकट्ठा किया और बोला कि अगर आप चाहो तो हम इस राक्षस को मिलकर मार सकते हैं।
गाँव वाले उसकी बात से सहमत हो गए. लेकिन उनके सामने यह समस्या थी कि उसको मारेगा कौन?
उस लड़के ने कहा कि यह हम सबकी समस्या हैं और हम सभी को ही निपटना हैं। इसलिए हम सब मिलकर उसको मारेंगे।
उस लड़के ने अपनी तरफ से एक योजना बताई कि वह राक्षस बहुत बड़ा हैं इसलिए वह कहीं पर छुप नहीं सकता और न ही किसी गली में जा सकता हैं। इसलिए हम सभी लोग छुप-छुप कर पत्थर फेक-फेक कर मार देंगे।
सभी गाँव वाले सहमत हो गए और रात का इंतज़ार करने लगे। रात को जब वह राक्षस बाहर आया तो उसको सभी गाँव वालो ने मिलकर मार डाला। अब पंखपुर के लोग ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।
कहानी की सीख – संघठन में ही शक्ति हैं।