दुर्भाग्यपूर्ण व्यवसाय
अकबर बीरबल कहानी – Akbar Birbal Kahani
अकबर के दरबारी सदा बीरबल को निशाना बनाने का प्रयास करते रहते थे।
एक दिन किसी ने पूछा, बीरबल, बादशाह के पहले तुम्हारा व्यवसाय क्या था ?”
बीरबल : “मैं एक किसान था। मेरे पिताजी और उनके पिताजी, दादाजी भी किसान थे। हम कई पुश्तों से किसान हैं।”
दरबारी : “वे सब कैसे मरे ?”
बीरबल : उनकी मौत खेत में हुई। मेरे पिताजी, कटाई करते हुए मरे।
उनके पिताजी कुएं में गिर गये। उनके पिताजी पर काम करते हुए बिजली गिर गयी।’
दरबारी : “तब तो तुम्हारा व्यवसाय एक दुर्भाग्यशाली व्यवसाय है।”
बीरबल : “तुम्हारे परिवार का व्यवसाय क्या है ?”
दरबारी : “हम सब सैनिक हैं ?”
बीरबल : “तुम्हारे पिता की मृत्यु कैसे हुई ?”
दरबारी : “वह लड़ाई के मैदान में मारे गये थे।”
बीरबल : “और उनके पिताजी।”
दरबारी : “वह भी लड़ाई में मारे गये थे।”
बीरबल : “तो, एक सैनिक का व्यवसाय भी दुर्भाग्यशाली है।”
थोड़ी देर रुक कर बीरबल बोले, “बादशाह के सभी पूर्वज पलंग पर मरे थे। आपकी बहस के अनुसार, पलंग पर सोना भी खतरनाक है।”
शिक्षा : भाग्य का किसी व्यवसाय से कोई संबंध नहीं है, कुछ व्यवसाय तो दूसरों से भी खतरनाक होते हैं। एक सुरक्षित नौकरी भी भाग्यशाली अन्त की गारंटी नहीं देती, क्योंकि मृत्यु तो सबकी होती है, हम चाहे कितने भी भाग्यशाली हों।