आपकी क्रियाओं का प्रभाव
अकबर बीरबल कहानी – Akbar Birbal Kahani
एक दिन अकबर अपने दोस्तों के साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे।
और उनके आस-पास पूरे देश के समझदार, अच्छे और सृजनात्मक व्यक्ति थे।
वे कह रहे थे, अकबर ने बीरबल को थप्पड़ मारा, बिना किसी कारण के।
लेकिन बादशाह को तो कोई थप्पड़ नहीं मार सकता, लेकिन वह थप्पड़ कहां गया ?
तभी बीरबल ने अपने साथ खड़े व्यक्ति को थप्पड़ मारा।
सबने सोचा, “यह तो अजीब है।”
अब जिस व्यक्ति को थप्पड़ लगा उसने अनोखा उत्तर दिया, उसने पूछने की बजाय अपने साथ खड़े व्यक्ति को थप्पड़ मारा।
और उस व्यक्ति ने सोचा शायद यह दरबार का चलन है तो उसने अगले व्यक्ति को थप्पड़ मारा।
इस तरह थप्पड़ पूरे दरबार में फैल गया।
उसी रात, अकबर की पत्नी ने उन्हें थप्पड़ मारा।
तब उन्होंने पूछा “आपने मुझे क्यों मारा ?”
वह बोली, “यह क्या प्रश्न है ? यह तो एक खेल है।”
अकबर बोले, “तुम्हें किसने कहा यह एक खेल है ?”
वह बोली, “हमने पूरा दिन सुना कि आपके दरबार में एक अनोखा खेल शुरू हुआ है।
जिसका नियम यह है कि जो आपको मारे, आप उसे वापिस नहीं मार सकते, आपको किसी और को ढूंढना पड़ता है।
और किसी ने मुझे थप्पड़ मारा।
इसलिए आपका थप्पड़ आपके पास वापिस आ गया। अब खेल पूरा हुआ।”
इस कहनी से शिक्षा : हर तरह के चाल-ढाल और काम की अनचाही शुरुआत होती है। इस संसार में हजारों खेल चल रहे हैं जिसके हम सब भागीदार हैं। थप्पड़ (या फिर कोई अच्छा परिणाम) आप तक देर-सवेर पहुंच ही जाता है। वह कहां जायेगा? अच्छे कार्य आपको इनाम दिलाते हैं जबकि आपके बुरे विचार या कार्य आपको सजा भी दिलाते हैं। शायद हम भूल जाते हैं हमने कब शुरुआत की? संसार बड़ा है, आप तक लौटने में समय लगता है। लेकिन हर चीज अपने स्रोत तक वापिस आ जाती है- यह जीवन के मूल नियमों में से एक है।