विधवा की बचत
अकबर बीरबल कहानी – Akbar Birbal Kahani
एक साधु था। जो अपने इलाके में बेहद ईमानदार समझा जाता था।
उसके किया कि तीर्थयात्रा हो आऊं।
यही सोचकर उसने घर का सारा कीमती सामान बेच दिया और नकदी में से कुछ अपने खर्चे के लिए रखकर उस पर लाख की सील लगा दी और साधु के पास जाकर बोली-“महाराज जी, आप बड़े ही ईमानदार आदमी हैं,
यही सोचकर मैं आपके पास आई हूं।
दरअसल, मैं तीर्थयात्रा पर जाना चाहती हूं।
अतः मेरी ये थैली रख लें, इसमें हज़ार मोहरें हैं। मैं यात्रा से वापिस आकर अपनी अमानत ले लूंगी।
“साधु ने थैली रख ली।
वह यात्रा पर चली गयी।
करीब दो साल बाद वह वापिस आई और साधु से अपनी थैली ले ली।
घर आकर उसने थैली खोलकर देखा तो घबरा गयी।
थैली में मोहरों की जगह लोहे की टिकलियां भरी थीं।
वह फौरन साधु के पास गयी और सारी बात बतायी।
मगर साधु ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की और बोला-“देखो बीबी!
तुम्हारी थैली में क्या था, क्या नहीं, मुझे नहीं मालूम।
मैंने तो तुम्हारी अमानत जस की तस रख दी थी और तुम्हारे वापस आने पर वैसे ही उठाकर तुम्हें दे दी।”
साधु की बात सुनकर विधवा घबरा गयी और गिड़गिड़ाने वाले अंदाज में बोली-“महाराज साहब!
मैंने अपने हाथों से थैली में मोहरें रखी थी।
मैं बहुत गरीब औरत हूं। वे मोहरें ही मेरी जमापूंजी थीं।
मेरा बुढ़ापे का सहारा थी। सारी नहीं तो कम से कम आधी ही दे दो।
मैंने तो आपको ईमानदार समझकर अपनी धरोहर आपके पास रखी थी, मगर आप मुझ गरीब के साथ अन्याय कर रहे हैं।”
साधु ने कहा, “ऐ बुढ़िया!
फालतू बकवास मत कर और सीधी तरह से यहां से चलती बन वरना धक्के मारकर बाहर निकाल दूंगा।”
बुढ़िया रोते हुए बीरबल के पास पहुंची और सारी बात बतायी।
बीरबल ने उसे आश्वासन देकर घर भेज दिया और थैली रख ली।
दूसरे दिन ही बीरबल ने नगर के सभी रफूगरों को बुलाकर वह थैली दिखायी।
एक रफूगर बोला-“यह थैली तो सालभर पहले मैंने ही रफू की थी।”
“कौन लाया था यह थैली तुम्हारे पास ?”
बीरबल ने पूछा। रफूगर : “एक साधु
बीरबल ने तुरन्त सिपाही भेजकर साधु को बुलवाया।
साधु आया और रफूगर को देख सारा मामला समझ गया।
अगले ही पल उसने जेब से सोने की मोहरें निकालकर बीरबल के कदमों में रख दी और क्षमा मांगने लगा।”
“तुम क्षमा करने के काबिल नहीं हो साधु।
तुम्हें तुम्हारे पद से भी हटाया जाता है, जो खुद बेईमान हो वह दूसरों का क्या मार्गदर्शन करेगा ?”
बुढ़िया धन पाकर बेहद खुश हुई और बीरबल को दुआयें देने लगी।
शिक्षा : जितना हम सोचते हैं लालच उससे अधिक फैला हुआ है। संदिग्ध व्यक्तियों पर आंख बंद करके भरोसा कर उनके हाथों की कठपुतली बनने से बचें। एक बार उनके जाल में फंसकर बाहर निकलना मुश्किल होता है।